नमस्कार...


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Saturday, June 25, 2011

राखी सावंत; एक अनबुझी पहेली


आज राखी सावंत के नाम से सभी लोग चिर-परिचित है, मुझे समझ नहीं आता राखी सावंत की प्रसिद्धि को क्या रूप दूँ. कुछ लोग प्रख्यात होते है, कुछ लोग विख्यात होते है, तो कुछ लोग कुख्यात भी होते है, पता नही राखी सावंत को किस श्रेणी में रखा जाये?

चाहे कुछ भी कहो कुख्यात या विख्यात, पर ये तो मानना पड़ेगा राखी सावंत ने बुलंदियों को छुआ है, नही तो 120 करोड़ की आबादी में भला ऐसी स्त्री को कौन जानता जो दिखने में स्त्री लगती भी नहीं है. राखी सावंत ने न सिर्फ बड़े पर्दों पर बल्कि छोटे पर्दों पर भी कमाल किया है, वो भी बिना किसी परदे के. और तो और टीवी चैनल्स ने तो राखी सावंत पर रियल्टी शो भी करा डाले. और नाम भी क्या रखा, राखी का इन्साफ, पता चला इंसान ही साफ़ हो गया!!!

एक दूसरा रियल्टी शो, जिसका नाम सुनकर ही लोगो को अचम्भा हुआ; राखी का स्वयंवर!!! अक्सर लोग कहते थे, अरे राखी का स्वयंवर? अरे इसका क्या स्वयंवर कराया, इस से अच्छा तो रेखा का स्वयंवर ही करा देते. और सब्जेक्ट भी कैसा कि, वो तो जब सुबह को सो कर उठती होगी, तो स्वयं ही वर लगती होगी?

मेरा एक मित्र भी गया इस रियल्टी शो में हिस्सा लेने के लिए, जैसे ही राखी सावंत ऑडिशन लेने के लिए आई, बिना मेक-अप के, मेरे मित्र ने तो राखी को देखते के साथ ही वोमिटिंग कर दी. उसके बाद 3 दिन तो वो दिल्ली के कलावती हॉस्पिटल में एडमिट रहा.

मेरे साथ एक लड़की पढ़ती थी, उसका भी नाम दुर्भाग्य से राखी सावंत ही था. पहले तो सब कुछ ठीक-ठाक था, पर बाद में जब से वो मिका वाला केस हुआ, तब से लोगो ने उसे चिढाना शुरू कर दिया, और राखी का स्वयंवर शो के दौरान तो वो बहुत ही ज्यादा परेशान हो गयी. आखिर में उसने सोचा कि अब तो अपना नाम ही बदलना पड़ेगा. वो मेरे पास आई और बोली की अच्छा सा कोई नाम बताओ, मैं परेशान हूँ राखी सावंत नाम से. मैंने सलाह दी की ऐसा कर सावंत हटा ले अपने नाम के पीछे से, राखी रहेगा तो कोई कुछ नही बोलेगा. उसने कहा ये सही है, उसने ये प्रोपोजल अपने पापा का सामने रखा तो उसके पापा भड़क गए, कि चाहे कुछ भी हो जाये, सावंत नही हटेगा. ये हमारा सरनेम है, इससे हमारे खानदान की इज्जत का पता चलता है. यहाँ तो लड़की की इज्जत खतरे में है, पर उसके पापा तो अपने खानदान की इज्जत के बारे में सोच रहे है.

वो फिर मेरे पास आई, और अपनी समस्या बताई, तो मैंने कहा कि अब तो अपना राखी नाम को ही बदल ले. पर ये क्या, राखी नाम बदलने को सुनकर उसकी मम्मी ने हंगामा शुरू कर दिया कि राखी नाम नहीं बदला जायेगा. मैंने पूछा ऐसा क्यों? बोली- इसका राखी नाम इसलिए है क्योंकि ये रक्षाबंधन के दिन पैदा हुई थी!!!

अच्छा लोजिक है. मैंने कहा- आंटी अगर ये ईद के दिन पैदा होती तो इसका नाम क्या सन्वैया रख देती? या करवा चौथ के दिन पैदा होती तो करवी सावंत? पर मेरी मित्र की मम्मी मानने के लिए तैयार ही नहीं थी. मेरी मित्र बोली, कुछ ऐसा नाम बताओ जिससे मेरे मम्मी-पापा दोनों संतुष्ट हो जाये. मैंने कहा तो तू ऐसा कर डोरी सावंत रख ले, दोनों के लिये सही रहेगा ये.

आखिर में उस लड़की ने अपना नाम राखी सावंत से बदल कर रक्षा सावंत रख लिया. प्रिय मित्रों कही आप या आप के कोई जानकर  तो ऐसी किसी समस्या से तो नही ग्रसित है? क्योंकि ये राखी सावंत नाम का एटम-बम्ब कही पर भी फूट सकता है.

कुछ दिन पहले जब सानिया मिर्जा की शादी शोएब मालिक से हुई तो बहुत लोगो के मुंह से मैंने अक्सर कहते हुए सुना कि कोई राखी सावंत को भी ले जाये. पर मैं इस बात के हमेशा ही विरोध में रहा हूँ. ये मत सोचिये कि राखी सावंत बेकार है, मैं तो सोचता हूँ कि इसे हथियार के रूप में भी इस्तमाल किया जा सकता है. मैं भारत सरकार से गुजारिश करता हूँ की राखी सावंत को जैविक हथियार घोषित किया जाये. अगर भविष्य में कोई देश हम पर हमला करे तो उस पर यह जैविक हथियार का इस्तमाल किया जाये. जिस दिन भारत सरकार राखी सावंत को जैविक हथियार घोषित कर देगी,चाइना और पाकिस्तान तो उसी दिन से भारत के आगे हाथ जोड़ कर खड़े हो जायेंगे, कि हमें माफ़ करो, चाहे हमसे अपना कश्मीर ही क्या हमारा भी कुछ हिस्सा ले लो, पर कृपया राखी सावंत तो हमारे ऊपर मत इस्तमाल करना. 

प्रिय मित्रों, ये थी राखी सावंत;एक अनबुझी पहेली, अनबुझी इसलिए क्योंकि राखी सावंत नाम की पहेली को सुलझाना मुमकिन ही नहीं, नामुनकिन है. आपको कैसा लगा, जरूर बताइयेगा, आपके सुझावों औरप्रतिक्रियाओं का स्वागत है. अगली बार फिर एक नये विषय के साथ हाजिर होंगे, तब तक के लिए जय राखी सावंत!!!

- विभोर गुप्ता (www.vibhorgupta.webs.com)

Thursday, June 23, 2011

वो काली रात

हिंसक-क्रूर पशुओं के हाथों, हैवानियत मानवता को कुचल रही थी
क्रांति-भावना के दमन को, सत्ता यौवन की भाँति मचल रही थी
काली रात में रोया था लोकतंत्र, तानाशाही का मचा था कोहराम
पर सिक्कों की खन-खन पर, तवायफें घूँघरू बांधें उछल रही थी.

Tuesday, June 21, 2011

आत्महत्या का अधिकार-

ना चहिये मुझे सूचना का अधिकार,
ना ही चहिये मुझे शिक्षा का अधिकार
गर कर सकते हो मुझ पर कोई उपकार
तो दे दो मुझे आत्महत्या का अधिकार

क्या करूँगा मैं अपने बच्चों को स्कूलों में भेजकर
जबकि मैं खाना भी नही खिला सकता उन्हें पेटभर
भूखा बचपन सारी रात, चाँद को है निहारता 
पढ़ेगा वो क्या खाक, जिसे भूखा पेट ही है मारता

और अगर वो लिख-पढ़ भी लिए ,तो क्या मिल पायेगा उन्हें रोजगार
नही थाम सकते ये बेरोजगारी तो दे दो मुझे आत्महत्या का अधिकार

मेरे लिए, सैकड़ो योजनाये चली हुई है, सरकार की
सस्ता राशन, पक्का मकान, सौ दिन के रोजगार की
पर क्या वास्तव में मिलता है मुझे इन सब का लाभ
या यूँ ही कर देते हो तुम, करोड़ो-अरबो रुपये ख़राब

अगर राजशाही से नौकरशाही तक, नही रोक सकते हो यह भ्रष्टाचार,
तो उठाओ कलम, लिखो कानून, और दे दो मुझे आत्महत्या का अधिकार.

कभी मौसम की मार, तो कभी बीमारी से मरता हूँ
कभी साहूकार, लेनदार का क़र्ज़ चुकाने से डरता हूँ
दावा करते हो तुम कि सरकार हम गरीबों के साथ है
अरे सच तो ये है, हमारी दुर्दशा में तुम्हारा ही हाथ है 

मत झुठलाओ इस बात से, ना ही करो इस सच से इंकार 
नहीं लड़ सकता और जिन्दगी से, दे दो मुझे आत्महत्या का अधिकार

मैं अकेला नही हूँ, जो मांगता हूँ ये अधिकार,
साथ है मेरे, गरीब मजदूर, किसान और दस्तकार
और वो, जो हमारे खिलाफ आवाज उठाते है
खात्मा करने को हमारा, कोशिशें लाख लगाते है

पूर्व से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, मचा है हाहाकार
खत्म कर दो किस्सा हमारा, दे दो मुझे आत्महत्या का अधिकार

क्यों कर रहे हो इतना सोच विचार
जब चारो और है बस यही गुहार
खुद होंगे अपनी मौत के जिम्मेदार
अब तो दे ही दो, आत्महत्या का अधिकार.
- विभोर गुप्ता (9319308534)

Saturday, June 18, 2011

छंद (राहुल-विवाह)-


वरुण की शादी होने के बाद, ताई जी ने कहा
        बेटा राहुल, अपनी शादी तुम कब करवाओगे
तुम्हारे कुंवारेपन पर, मुझे ताने मरते है सब
        बोलो सुसंस्कारी, सुलक्ष्मी बहु कब लाओगे
तुम्हारी उम्र की सब लडकियाँ ब्याही गयी
        क्या सभी के बच्चों के मामा तुम ही कहलाओगे
कर लो शादी जल्दी प्यारे, ताक में है कवि सारे
        खुद को क्या दूसरा अटल बिहारी लिखवाओगे.

क्षमा करना मम्मी जी, मैं दर्द आपका हूँ समझूं
        पर क्या करूँ, कोई लड़की मुझको जंचती ही नही है
राजनीति भी करे और संभाले जो राज-पाट
        ऐसी गुणवान कोई दिल में मेरे बसती ही नही है
जिसको बना डालूँ आपके घर की बहुरानी
        ऐसी कोई सुकुमारी मेरी तरफ हंसती ही नहीं है
मैं तो डालता हूँ दाना कुड़ियों को रात-दिन
         पर कन्या कुंवारी कोई जाल में फंसती ही नही है.

-विभोर गुप्ता (9319308534)

Friday, June 17, 2011

शराब-



जब थे कभी अनजान इससे, तब लुभाया शराब ने
जो नही किया था वादा कभी, वो भी निभाया शराब ने

हम तो जिया करते थे तन्हा ही, जिन्दगी को
ना जाने किन-किन चेहरों से मिलवाया शराब ने

नही था कोई जूनून, कुछ सिखने का दिल में,
तब इस दिल को, जाने क्या-क्या सिखाया शराब ने

शौक से जिया करते थे अपने गली-मोहल्लों में,
अपनी गलियीं का भी रस्ता, भटकाया शराब ने

मानते थे लोहा सभी हमारे हिसाब-किताब का,
दो पैग के बाद, गिनतियों को भी भुलाया शराब ने

जहाँ तैरने की कोशिश भी नही, कर सकते थे हम,
उस बीच मझधार में ले जाकर, डुबाया शराब ने

कभी मेरी ताकत का खौफ, तो कभी जमींदारी का रौब,
मेरी जवानी, मेरी कहानी, सब कुछ लुटवाया शराब ने

गर्व से रखा था नाम हमारा, माँ-बाप ने,
शराबी, पियक्कड़, बेवडा नाम दिलाया शराब ने

किसी-किसी को तो दुनिया से ही उठाती शराब है,
पर हमको तो नज़रों में उनकी गिराया शराब ने

हम तो किया करते थे, हमेशा ही परहेज इन सबसे
सीधा-सादे 'विभोर' को शायर बनाया शराब ने

भले ही हिन्दू-मुस्लिम को हो मिलाया शराब ने,
पर अपने सगों को तो बनाया, पराया शराब ने

Thursday, June 16, 2011

तेरी किस्मत

ऐसे क्या तू देखता है, कुएं तेरी किस्मत में है
कोसता किसको है क्या, संघर्ष तेरी किस्मत में है

मंजिल तेरी है चाँद पर, चलना तुझे धरती से है
ना मांग फूलो की सेज, कांटें तेरी किस्मत में है

पंख की तू चाह ना कर, बुलंद कर अपने आप को
भूल जा राहों को गिनना, भटकन तेरी किस्मत में है

आत्मविश्वास की इस डोर में, ना डाल कोई गांठें कभी
उठने की तू आदत बना ले, गिरना तेरी किस्मत में है

चुपचाप यूं ना बैठ तू, दिल की उम्मीदे हार कर
मिलकर तुझको रहेगा, जो भी तेरी किस्मत में है

छोड़ दे आदत पुरानी, हर चीज को ही लपकने की
रख तू अभी पेट खाली, धक्के खाना तेरी किस्मत में है

रुकने का तू नाम ना ले, बस चलता ही चल 'विभोर'
एक बात तू समझ ले, बदकिस्मती तेरी किस्मत मैं है।

-विभोर गुप्ता

Sunday, June 12, 2011

तानाशाही सत्ता की जय हो


 अब तो मैं भी सत्ता के विरुद्ध कभी कुछ नही बोलूँगा
भ्रष्टाचार और कालेधन पर अपना मुंह नही खोलूँगा

अरे, मुझको भी तो अपनी जान बहुत प्यारी है
सच लिखने की ताकत मेरी, सत्ता के आगे हारी है
तो भला मैं, क्यूँ सच बोल कर अपना शीष कटाऊ
अमानवीय सरकार को भला क्यूँ अपना दुश्मन बनाऊ

जो सत्ता सोये हुए लोगो पर लाठी बरसा सकती है
न्याय की प्यासी जनता को बूँद-बूँद तरसा सकती है
जिसने सत्याग्रह का अर्थ ही कभी ना जाना हो
लोकतंत्र में जनता की पुकार को कभी ना माना हो

जिसे दुनिया ने पूजा सदा, वो उसको ठग बतलाती है
आधी रात को लाठिया बरसा मन ही मन मुस्काती है
वो सत्ता भला कलम की ताकत को क्या जानेगी
भ्रष्टाचार से पीड़ित प्रजा के आंसू क्या पहचानेगी

सत्ता के धर्म-अधर्म को अपनी कलम से नही तोलूँगा
अब तो मैं भी सत्ता के विरुद्ध कभी कुछ नही बोलूँगा

आज चली है लाठिया, कल गोली भी चलवा सकते है
सच लिखने के अपराध में मुझे भी अन्दर करवा सकते है
तानाशाह हो चुकी सरकार अब प्रजातंत्र को भूल रही
भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार, सत्ता के मद में झूल रही

सिंहासन का राजा कोई, बागडोर किसी और के हाथ में
खरगोशों का शिकार कर रहे, सिंह-सियार दोनों साथ में
कसाब खा रहा बिरयानी, सत्याग्राही लाठिया है खा रहे
देश में आतंक फ़ैलाने वाले, लादेन जैसे सत्ता को भा रहे

सात समंदर पार, सत्ता के दलालों की भर रही है तिजोरिया
और एक योगगुरु को द्रोही बतलाकर कर रहे वो मुंहजोरिया
अब तो लगता है डर, कहीं ना कर दे मुझको भी बदनाम
मैं क्यूँ पडू इस झंझट में, करूँगा मैं सत्ता को सलाम

सिंहासन के फेंके सिक्कों पर, अब तो मैं भी डोलूँगा
अब तो मैं भी सत्ता के विरुद्ध कभी कुछ नही बोलूँगा

अपनी जेब भरने को, मैं दरबारों की जेबे टटोलूँगा
अपनी कडवा सच की कविताओं में झूठ की मिश्री घोलूँगा
अब तो मैं भी सत्ता के विरुद्ध कभी कुछ नही बोलूँगा
भ्रष्टाचार और कालेधन पर अपना मुंह नही खोलूँगा

-विभोर गुप्ता (9319308534)

Wednesday, June 1, 2011

भ्रष्टाचार मिटाओ सत्याग्रह

सत्याग्रह है एक युद्ध, काले धन के विरुद्ध
         इस युद्ध में जीवन आहुतियाँ डालने चलो
घायल  माँ भारती, आज तुम्हे पुकारती
         भारती के पैर के कांटे निकालने चलो
जागो युवा नौजवानों, शूरवीर बलवानों
         सिंहासन की बागडोर तुम सँभालने चलो
लगी है दावानल आग, देश के भविष्य जाग
         मिटाना है अँधियारा तो आग उछालने चलो

काँप उठा है आज कंस, खत्म करो उसका वंश
         सुदर्शन चक्र लेकर कृष्ण भगवान चलो
पाप का नाश करो, जन-जन में उल्लास भरो
        रावण की लंका जलाने को हनुमान चलो
अधर्म के विरुद्ध जंग, बाबा रामदेव के संग
        लालबहादुर कह रहे, जवान और किसान चलो
क्रांति की चली हवा, हर तरफ है धुंआ
        परिवर्तन चाहते हो तो रामलीला मैदान चलो

-विभोर गुप्ता (9319308534)