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Wednesday, November 30, 2011

जागो कलमकारों


देश में आज-कल का माहौल ही कुछ ऐसा ही कि लिखना पड़ रहा है.......

लाखों-करोड़ों हिन्दुस्तानी सडकों पर भूखे मर रहे है,
राजशाह लूट-लूट खजाना अपने तहखानें भर रहे है,
जागो कलमकारों, अपनी कलम से अब देश जगाओ
अरे, वतन के ठेकेदार, वतन का सौदा कर रहे है |
-विभोर गुप्ता 

Saturday, November 26, 2011

सरदारनी ने जन्म दिया

26 नवम्बर 2008 में मुंबई में आतंकी हमले के बाद भी भारतीय प्रधानमंत्री के खून गरम नहीं होने पर मैंने एक छंद लिखा था| आज तीन साल बाद उसे आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ|

सरदारनी ने जन्म दिया, सरदारनी का दूध पिया,
......................सरदारनी के आँचल की छाँव तुम पले हो
पगड़ी बाँध बन जट, सिंह उपनाम रख,
.....................गुरु गोविन्द के अनुयायियों का वेश तुम ढले हो
आन-बान-शान पर जान को लुटाने वाले
....................सिक्खों का इतिहास भूल किस हाथ तुम छले हो
कैसा ये तुम्हारा राज, कहाँ है कृपाण आज,
...................शौर्य को ठुकराकर कायरता की किस राह तुम चले हो |
-विभोर गुप्ता

Sunday, November 13, 2011

अपने छोटू का बाल दिवस


आज सुबह सुबह बाल दिवस के दिन जब मैंने कुछ छोटे छोटे बच्चों को दुकानों पर काम करते देखा तो मुझे लगा कि देश कि उन्नति और विकास का उन बच्चों का क्या लाभ मिल रहा है? एक ताजी रचना आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ, आपकी प्रतिक्रिया आमंत्रित है|

हाँ, पिछले पैंसठ सालों में देश में विदेशी निवेश बढ़ा है
और कुछ सालों से अर्थव्यवस्था का सूचकांक भी ऊपर चढ़ा है
वास्तव में अब गाँव की गलियों तक भी काली सड़कें आती है
और अब गोरी भी गगरी लेकर पानी भरने दूर नहीं जाती है
देश का नेता हर नुक्कड़ पर विकास के ढोल बजाता है
किन्तु अपना छोटू तो आज भी हवेली में ही झाडू लगाता है |

अब तो हर बच्चे को मिला हुआ शिक्षा का अधिकार है
सस्ते दामों पर कंप्यूटर उपलब्ध करा रही सरकार है
विदेशी विश्वविधालय देश में अपनी शाखाएं खोल रही है
नई पीढियां एक साथ कई-कई भाषाएँ बोल रही है
गली-गली में सर्व शिक्षा अभियान की किरण दिखाई देती है
किन्तु अपने छोटू को तो बस मालिक की डांट सुनाई देती है |

महात्मा गाँधी के नाम पर गारंटीड रोजगार मिलता है
बड़े बाबू को भी अब वेतन तीस हज़ार मिलता है
अब कोई किसी को भी कम मजदूरी पर नहीं रख सकता है
और बंधुआ मजदूर भी श्रम विभाग में केस दर्ज कर सकता है
किन्तु बाल श्रम निरोधक कानून उस समय कहाँ सोता है
जब अपना छोटू चाय की दुकान पर झूठे बर्तन धोता है |
-विभोर गुप्ता