नमस्कार...


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Saturday, December 29, 2012

दिल्ली गैंग-रेप; एक दुखद घटना-

राम-कृष्ण के देश में मर्यादा वहशीपन से हार गयी
एक लाडली भारत-भू की महानता को धिक्कार गयी
संस्कारों की परिभाषा वक़्त-वक़्त पर कैसे बदल गयी
पुरुष-तन की काम-वासना फिर एक बेटी को निगल गयी

आधुनिकता की दौड़ में जाने समाज कहाँ दौड़ लिया
बेशर्मी के अंधेपन में नैतिकता का कैसा चोल ओढ़ लिया
स्त्री को माँ कहने वाले शिवाजी के आदर्श हम भूल गये
नवरात्र के माँ दुर्गा के नौ रूपों का दृश्य हम भूल गये

स्त्री के मान-मर्यादा की, क्यों नही किसी को लाज कोई
माँ-बहनें सबकी होती है, क्यों नही समझता आज कोई
नारी-जाति की पवित्र देह से ना ऐसा खिलवाड़ करो
मातृ-शक्ति का पावन आँचल न तार-तार उजाड़ करो

कल फिर कोई दामिनी सड़क पर ना यूँ कुचली जाए
कातिल भ्रमरों के हाथों कोई कली ना यूँ मसली जाए
इसलिए जरूरत है नारी-शक्ति का पग-पग सम्मान करे
परायी स्त्री में भी अपनी माता-बहनों की पहचान करे

पहले खुद सुधरे, खुद-ब-खुद समाज भी सुधर जाएगा
तभी उस बिटिया के बलिदान का क़र्ज़ भी उतर जाएगा.......विभोर गुप्ता, मेरठ

Tuesday, December 18, 2012

पाकिस्तानी गृह मंत्री रहमान मालिक की भारत यात्रा-

कोयल के घर में गिद्धों को हर बार बुलाना ठीक नहीं
सिंहों का भेड़ियों के आगे यूँ पूंछ हिलाना ठीक नहीं
जिसके मुंह खून लगा हो वो झपट मार भी सकता है
ऐसे भौंकते कुत्तों को निवाला दिखलाना ठीक नहीं
पैसठ सालों से देखते आये अब तक टेढ़ी की टेढ़ी है
इस पूँछ को फिर सीधी नलकी में रखना ठीक नहीं
हनुमत श्रीराम को समझाओ हर कोई विभीषण नहीं
रावण के सब भाइयों को यूँ गले लगाना ठीक नहीं
जिसने केसर की घाटी में खून की होली खेली हो
उस खूनी हाथो से शांति के दीप जलाना ठीक नही
रावलपिंडी की चालों को दिल्ली वाले कब समझेंगे
बिल्ली को दिल्ली दरबार में चूहें खिलाना ठीक नहीं
जिन्ना की औलादों को कान खोलकर बतला दो
सरक्रीक मुद्दे पर हिन्दुस्तान का खूं खौलाना ठीक नही.......विभोर गुप्ता

Monday, October 22, 2012

आखिर कौन जिम्मेदार था-

बासठ में जो घटित हुआ उसका कौन जिम्मेदार था
दिल्ली की कोई भूल थी या फिर ड्रेगन गुनेहगार था 
भारतीय गोला-बारूद के कारखाने क्यों बंद हो गए थे 
सीमापार दुश्मन के हौंसले क्यों इतने बुलंद हो गए थे

सेना बल के बाजू तोड़ने की दलीलें कौन दे रहा था 
हिंदी-चीनी भाई-भाई के जोशिलें नारे कौन दे रहा था 
लालकिले की प्राचीरों को आखिर किसने कंपा दिया था 
गंगा मैया की धारा को किस पापी ने डरा दिया था 

मानसरोवर में भोले शिव बाबा क्यों पराये हो गए 
हिम पर्वत की चोटी पर आखिर किसके साये हो गए 
लेह लद्दाख की भूमि को किस दुष्ट ने छू लिया था 
अपना अरुणाचल किसकी गोद में चला गया था 

आजकल मुझ से सवाल पूछते है देश के नौनिहाल 
भारत माता के लाल चुप कैसे बैठे रहे पचास साल 
माँ भारती के हत्यारों को क्षमा-दान किसने दे दिया 
उसी नेहरु के वंशजों के हाथ हिंदुस्तान किसने दे दिया
-विभोर गुप्ता 

Tuesday, August 21, 2012

चालबाज पडौसी आतंकी दरिन्दे भेजता रहा,
हम जेलों में उन्हें चिकन, बिरयानी परोसते रहे...
पाक जेहाद के नाम पर तबाहियाँ मचाता रहा,
हम भाई-भाई कहते हुए दोनों हाथ जोड़ते रहे...
पेंसठ सालों से माँ भारती को घाव दिए जा रहा,
हम गाँधी जी के बन्दर बने तामाशा देखते रहे...
आज इस्लामाबाद ने हिन्दुस्तान को जला दिया,
किन्तु दिल्ली वाले सियासी रोटियाँ सेकतें रहे...

Sunday, August 12, 2012

माँ भारती का एक लाल ऐसा भी


लंदन के दंगल में सिंह सा दहाड़ता जो,
माँ भारती का एक लाल ऐसा भी
कुश्ती के अखाड़े में प्रतिद्वंदियों को पछाड़ता जो,  
माँ भारती का एक लाल ऐसा भी 
महाबली सा बलवान हाथी सा चिंघाड़ता जो,
माँ भारती का एक लाल ऐसा भी 
गोरो की जमीं पर तिरंगा गाढ़ता जो,
माँ भारती का एक लाल ऐसा भी


Friday, March 23, 2012

लोकतंत्र पर हावी नोटतंत्र-


सिक्कों का शोर राजनीति में प्रभावी हो गया
नोटतंत्र लोकतंत्र पर  इस कद्र हावी हो गया
राज्यसभा चुनावों में सियासी दलों के ढंग देखिये
पैसे के बल उम्मीदवार उड़ा रहे, रंगीले रंग देखिये

राजनीति के राग अब प्रवासियों को भी भाने लगे
एन.आर.आई.भी राज्यसभा की दावेदारी जताने लगे
उद्योगपति उद्योग छोड़ संसद जाने को तैयार है
फिल्मों में नाचने-गाने वाले भी आज उम्मीदवार है

कहीं पिता की राजनितिक विरासत सँभालने बेटा आ रहा
तो कहीं किसी को मनाने के लिए टिकट दिया जा रहा
बिल्ली के छींकने से देखो आज छींकें टूटने लगे
संसद की दीवारों से जनसेवकों के रिश्तें छूटने लगे

संसद-विधानसभा तस्कर, लुटेरों का घर बन गयी
हत्या, जालसाजी, राहजनी कचहरियों से निडर बन गयी
अमावस्य में डूबे संविधान को अब प्रकाश चाहिए
जन-जन को जगाने हेतु कोई जयप्रकाश चाहिए

Friday, March 16, 2012

रेल मंत्री पर संकट-


रेल किराए में वृद्धि रेल मंत्री पर भारी पड़ गयी
दीदी अपने ही मंत्री की बर्खास्तगी पर अड़ गयी
अब बेचारी केंद्र सरकार, करे भी तो क्या करे
घोटाले इतने हुए कि, पैसे की जरूरत बढ़ गयी....विभोर गुप्ता 

Wednesday, March 14, 2012

उत्तराखंड की राजनीति-


उत्तराखंड में हफ्ते भर की बैठकों का दौर बंद हो गया
सत्ता-सिंहासन पर परिवारवाद फिर से बुलंद हो गया
कृमठ जनसेवक एक बार फिर लाचार दिखने लगे
और सड़कछाप दल-बदलू कुर्सियों में बिकने लगे  
निर्दलियों की खरीद फरोख्त में बीजेपी कमजोर पड़ गयी
निशंक की चालबाजी खंडूरी की हार बन गयी
बसपा भी बहती गंगा में अपना हाथी धोने लगी
कांगेस की बनती सरकार देख भाजपा रोने लगी
हरीश रावत भी नाराज, मुझे सी एम क्यों नहीं चुना
हाईकमान से लगी मुहर ऐसा क्या किये बहुगुणा
किन्तु साहब सिंहासन पर तो उन लोगों का ही जोर है
जिनका बस दस जनपथ की हवेली में ही शोर है.......विभोर गुप्ता 

Wednesday, March 7, 2012

कैसे मैं होली मनाऊं-

माँ भारती के दामन पर लगे है दाग,
तब कैसे मैं फाल्गुनी राग सुनाऊं
देश का चित्र है घायल दंगों से
तब कैसे त्यौहारों का चरित्र दिखाऊं
रंग तो हो गए कैद मजहब में
तब कैसे घरों में रंगोली सजाऊं
मेहंदी रोली पर जब गोली हावी हो
तब भला कैसे मैं ये होली मनाऊं.....विभोर गुप्ता 

Saturday, February 25, 2012

शराबी वोटर-

कल शाम मेरी गली में सफ़ेद पोशाकी लोग आये थे
अंग्रेजी शराब के पव्वें और ठर्रें अपने साथ लाये थे
सारी रात मेरे मोहल्लें में दिवाली सा माहौल था
न पीने वालो का उनकी नज़रों में ना कोई मोल था
विकास के वादें, लाल-कडवे पानी में घुले जा रहे थे
चुनावी चिन्ह भी शराबी वोटरों को मिले जा रहे थे 
लगता है, बुद्धिजीवी घर में बैठे-बैठे बात बनायेंगे
और अध्धें-पव्वों में तुलने वाले ही सरकार बनायेगे.....विभोर गुप्ता

Monday, February 20, 2012

यूपी के अखाड़े में-


उत्तर-प्रदेश के चुनावी मैदान से दो छंद आपके सम्मुख प्रस्तुत करता हूँ, आशा करता हूँ कि आपको पसंद आये-

यूपी के अखाड़े में, भैया अजब-गजब है खेल
गुंडे, तस्कर, माफियाओं का, खादी वालो से मेल
खादी वालो से मेल, चुनावी टिकट तक पा गये
उठाईगिरे सड़कछाप जेबकतरे तक राजनीति में आ गये
चुनावी पव्वा चढ़ा के आया "विभोर" इस जाड़े में
संविधान भी हैरान, क्या हो रहा  यूपी के अखाड़े में|

चुनावी रैली में बोले चचा, अब हम सत्ता में आयेंगे
ज्यों सत्ता में आयेंगे, तुमको आरक्षण दिलवाएंगे 
तुमको आरक्षण दिलवाएंगे, आयोग ने लगे फटकार
चचा ने अकड़ दिखाई तो लगाईं राष्ट्रपति से गुहार
आरक्षण भले ना मिले, शर्बत तो मिल ही गया थैली में
अब बेनी प्रसाद भी दोहराए, वही बात चुनावी रैली में|
-विभोर गुप्ता 

Friday, February 17, 2012

"यूपी में चुनावी जंग देखिये"-

उत्तर-प्रदेश की राजनीति पर आधारित मेरी चर्चित कविता जो कई समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है| आप लोगो के समक्ष प्रस्तुत है| आपके सुभाशीष एवं स्नेह को आतुर-

उत्तर प्रेदश में सियासी योद्धाओं की चुनावी जंग देखिये
ऐसे-ऐसे दांव-पेंच कि अपनी-अपनी आँखें दंग देखिये 
"शाम की दवा" पूछने को "छोटे यादवजी" का ढंग देखिये
गिरगिटों की तरह बदलते बागियों के बागी रंग देखिये

घर-घर खाना खाने को "युवराज" के मन की उमंग देखिये
निर्बलों से वोट मांगने को हाथ जोड़ते दबंग देखिये
पापियों के पाप ढोते भागीरथी में उठती तरंग देखिये
दागियों से हाथ मिलाने को एक दल को बनते गंग देखिये

बहरे को बजाते, गूंगे को गाते, ठुमके लगते लंग देखिये
अंधा देख हाल सुनाते, टकसाल लुटाते हुए नंग देखिये
"बहनजी" की मूर्तियाँ ढकने को चुनाव आयोग का अडंग देखिये
टिकटों की होड़ में अपनों से ही अपनों को होते तंग देखिये

वोट गणित बिगड़ देख हाईकमान के फड़कते अंग देखिये
"चौधरी" से डोर काट "अनुराधा" की उडती हुई पतंग देखिये
न्यारा दल बना बागी और दागियों को एक दूजे के संग देखिये
शब्दबाण, खींचतान में एक दूसरे की खिंचती टंग देखिये

यूपी के अखाड़ों में कुंवारें पहलवानों की सियासी दंग देखिये
बोतलों के जोर, ढोल नगाड़ों के शोर में मचता हुडदंग देखिये
चुनावी मौसम में एक दूजे की केंचुली बदलते भुजंग देखिये
कहाँ से निकला कौन कहाँ है जा रहा ऐसी सुरंग देखिये

बकरी से मिमियाने से सिंहों की नींदें होती भंग देखिये
गांधी जी के बंदरों के एक दूजे पर कसते व्यंग्य देखिये
"बटला हाउस मुठभेड़" के मुद्दें उछालते प्रसंग देखिये
राजनीति की नीतियों में संविधान को बनते अपंग देखिये....-विभोर गुप्ता, मेरठ

Tuesday, February 14, 2012

वेलेंटाइन डे पर विशेष-


मित्रों, आज प्रीत चौदस है, मैं नही जानता ये दिन भारतीय संस्कृति को नुकसान पहुंचता है कि फायदा, किन्तु अपने आस-पास वालों को देख कर कुछ पंक्तिया लिखी है| अगर पसंद आये तो आपका आशीर्वाद चाहता हूँ|

गगन में भटकते पंछियों को बस दाना चाहिए
खुशबू से महकती पुरवा और मौसम सुहाना चाहिए
संस्कृति टूटती है तो लाख टूटे, इन्हें कोई फ़िक्र नहीं
भौरों को तितलियों से मिलने का बस कोई बहाना चाहिए

प्रेम कभी राधा-कृष्ण तो कभी मीरा के दिल में समाया है
कभी हीर-रांझा तो कभी लैला-मजनूं की दास्ताँ कहलाया है
पहरे कितने भी लगा लो इन पर, जंजीरें कम पड़ जाएगी
भला प्यार के परिंदों को कोई पिंजरें में कैद कर पाया है

जब किसी कुमारी से मेरे दिल का नहीं पाला था
तब मैं भी भारतीय संस्कृति का रखवाला था
आज मेरा मन भी किसी के सपने सजाने लगा
इसलिए आज मुझे वेलेंटाइन डे में प्रेम नजर आने लगा

-विभोर गुप्ता

Thursday, February 9, 2012

कर्नाटक विधानसभा भी शर्मसार-

भरते थे दम जो संस्कृति को बचाने का,
उनके आचरण से भूमि आज धिक्कार हो गयी
लेते है शपथ, संविधान का गौरव बचाने हेतु,
उनके ही हाथों मान-मर्यादा तार-तार हो गयी
अब तक तो चले थे बस जूते, चप्पल, कुर्सियाँ,
अब ऐसे-ऐसे कारनामों का भी शिकार हो गयी
देखते पाए गए मंत्री, विधानभवन में पोर्न क्लिप,
कर्नाटक विधानसभा भी आज शर्मसार हो गयी
-विभोर गुप्ता 

Tuesday, February 7, 2012

यूपी में चुनावी जंग देखिये-

दैनिक जागरण समूह के i-next में प्रकाशित मेरी एक कविता।  
up mein chunavi jang dekhiye




Thursday, February 2, 2012

यूपी के चुनावी दौर-


आजकल यूपी के चुनावी दौर में सभी पार्टियां अपनी उपलब्धियां गिना रही है और दूसरी पार्टियों पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही है| वहीँ से एक व्यंग्यात्मक रुपी छंद-


भाजपाई बोले जब भी आती है कांग्रेस,
...................देश-प्रदेश में तब तब बढती महंगाई है
कांग्रेसी बोलते है, ये तो कुछ भी नही,
..............भाजपा ने तो राज में अपने मस्जिद ढहाई है
मुलायम बोले मैं जनता का दर्द समझता हूँ,
.............शहर- गाँव-गलियों में मैंने साइकिल चलायी है
और मैंने पूछा बहन जी आपने है क्या किया?
..............बोली, यूपी के चौराहों पर मूर्तियाँ बनाई है.........विभोर गुप्ता 

Thursday, January 26, 2012

गणतंत्र की पुकार-


आज गणतंत्र के शुभ उपलक्ष्य पर आप सभी को ढेरों शुभकामनाये|  मैं आज अपनी रचना "गणतंत्र की पुकार" की कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ|
आपके शुभाशीष एवं स्नेह को आतुर-

गणतंत्र दिवस मनाओ किन्तु एक प्रण आज लेना होगा
देश से बहुत कुछ लिया, अब देश को भी कुछ देना होगा 
गणतंत्र को सशक्त बनाने को अभी बहुत कुछ करना है
प्रजा पर हावी हो रहे इस तंत्र से हमें अभी लड़ना है

बाबा साहेब ने संविधान लिखा, लोकतंत्र सशक्त बनाने को
और हमने उसे हवाले किया राजशाहों के महल बसाने को
संविधान के प्रहरी ही जब संविधान पर प्रहार करते हो
नौकरशाह राजशाही के आगे भिग्गी बिल्ली से डरते हो

तब प्रजातंत्र बचाने को राजनीति पर लगनी चोट जरूरी है
व्यवस्था परिवर्तन को शत प्रतिशत होनी वोट जरूरी है 
घूस, रिश्वतखोरी, दलाली  व्यवस्था को बदलना होगा
जण-गण-मन पुकार रहा है, जन-जन को जगना होगा 

जनतंत्र का भावार्थ तभी, जनता की सरकार हो जब
गणतंत्र का शब्दार्थ तभी, गाँधी का सपना साकार हो जब
जिस दिन लालकिले से तिरंगा खुशहाली से लहरायेगा
वो दिन हिन्दुस्तान का दूसरा गणतंत्र दिवस कहलायेगा |
-विभोर गुप्ता 

Monday, January 23, 2012

आ जाओ सुभाष-


नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती पर एक छंद आपके स्नेह और आशीष हेतु प्रस्तुत है-
 
खून के बदले में मिली थी जो आजादी हमें,
...............उसी आजादी का खून आज हो रहा है देश में  
फिरंगियों से छीन कर बनाया था कभी प्रजातंत्र,
................आज प्रजा पर ही तंत्र हावी हो रहा है देश में  
गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार, शोषण से पीड़ित,
.................भूखा, नंगा नौनिहाल अब रो रहा है देश में  
जय हिंद करे उदघोष, आ जाओ सुभाष बोस,
...............काले अंग्रेजों का आतंक अब हो रहा है देश में.......विभोर गुप्ता 

Saturday, January 14, 2012

स्वामी रामदेव पर काली स्याही-


योग गुरु स्वामी रामदेव पर काली स्याही डालने के विरोध में एक छंद प्रस्तुत है...

अजमल-अफज़ल को परोस मटन-चिकन-बिरयानी,
..................आतंकी उग्रवादियों को पालने लगे है लोग देश में
राष्ट्रधर्म, संस्कृति की बातें ना करना यहाँ कभी,
...................देशप्रेमियों पर कालिख डालने लगे है लोग देश में 
करोड़ों बांग्लादेशी घुसपैठियों को तो बाहर ना कर सके,
...................एक नेपाली का मुद्दा उछालने लगे है लोग देश में
काले धन की तिजोरियों पर आँच ना आने पायी,
.................किन्तु फकीरों के कटोरें खंगालने लगे है लोग देश में 
-विभोर गुप्ता 

Thursday, January 12, 2012

स्वामी विवेकानंद क्यूं नहीं है पैदा हो रहे-


आज "स्वामी विवेकानंद जयंती" और "युवा दिवस" पर एक छंद प्रस्तुत करता हूँ-

शिकागो में अपने धर्म का परचम फहराने वाले,
                हिन्दुस्तानी अपने आदर्श, मान, सम्मान कहाँ खो रहे
सभ्यता, संस्कृति, संस्कार के धनी देश वाले,
                पश्चिम के रीति-रिवाजों को अपनी पीठ क्यूं है ढो रहे 
युवाओं की ख़ामोशी और देश की बदहाली देख,
                   श्री रामकृष्ण परमहंस आज आँखें भर-भर रो रहे 
युवाओं को जगाने हेतु बने जो विवेकानंद,
                 ऐसे नरेंद्र भला आज देश में क्यूं नहीं है पैदा हो रहे 
-विभोर गुप्ता 

Tuesday, January 10, 2012

मूर्तियों पर पर्दें-


उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग द्वारा बहनजी की और हाथी की मूर्तियों पर पर्दें ढके जाने के सन्दर्भ में दो छंद-

यू पी में मूर्तियों पर परदें पड़ने लगे है,
                    चुनाव आयोग पर ना इसका कोई इल्जाम दीजिये
अरे हाथ ना कटा कोई, और फूला ना हटा कोई,
                    साइकिल के भी ना ढकने को ना बदनाम कीजिये
ये तो बहनजी का आवेदन था आयोग से,
                        बतलाता हूँ राज़ तुम्हे, बस दिल थाम लीजिये
बारिश, ओलों में सर्दी बढ़ने लगी थी,
                  बोली बहन जी इन्हें सर्दी से बचने का भू काम कीजिये

देखो-देखो यारों, एक महावत है वहां कोई,
                  जो अपने हाथी को ढके हुए लिए जा रहा
अरे क्या तेरे हाथी को भी सर्दी लगी है
                     पूछा लोगों ने क्यूं इसे चादर उढ़ा रहा
बोला महावत इसे सर्दी तो लगी नहीं है भाई,
                    पर चुनाव आयोग का डंडा मुझे कंपा रहा
कल हाथियों को ही ढकने के लिए ही ना बोल दे,
                 इसीलिए मैं खुद ही इसे चादर से ढके जा रहा 
-विभोर गुप्ता 

Thursday, January 5, 2012

राजनीति की नीतियाँ-


उ.प्र. में दागी मंत्री बाबु सिंह कुशवाहा को भाजपा में शामिल किये जाने पर एक मुक्तक-

राजनीति की नीतियाँ मुझको अखरने लगी है
गद्दी कब्जाने को बीजेपी भी ऐसा करने लगी है
कल तक दागियों को खुलेआम कोसा करती थी
आज अपने ही घर में दागियों को भरने लगी है|