आज गणतंत्र के शुभ उपलक्ष्य पर आप सभी को ढेरों शुभकामनाये| मैं आज अपनी रचना "गणतंत्र की पुकार" की कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ|
आपके शुभाशीष एवं स्नेह को आतुर-
देश से बहुत कुछ लिया, अब देश को भी कुछ देना होगा
गणतंत्र को सशक्त बनाने को अभी बहुत कुछ करना है
प्रजा पर हावी हो रहे इस तंत्र से हमें अभी लड़ना है
बाबा साहेब ने संविधान लिखा, लोकतंत्र सशक्त बनाने को
और हमने उसे हवाले किया राजशाहों के महल बसाने को
संविधान के प्रहरी ही जब संविधान पर प्रहार करते हो
नौकरशाह राजशाही के आगे भिग्गी बिल्ली से डरते हो
तब प्रजातंत्र बचाने को राजनीति पर लगनी चोट जरूरी है
व्यवस्था परिवर्तन को शत प्रतिशत होनी वोट जरूरी है
घूस, रिश्वतखोरी, दलाली व्यवस्था को बदलना होगा
जण-गण-मन पुकार रहा है, जन-जन को जगना होगा
जनतंत्र का भावार्थ तभी, जनता की सरकार हो जब
गणतंत्र का शब्दार्थ तभी, गाँधी का सपना साकार हो जब
जिस दिन लालकिले से तिरंगा खुशहाली से लहरायेगा
वो दिन हिन्दुस्तान का दूसरा गणतंत्र दिवस कहलायेगा |
-विभोर गुप्ता