राम-कृष्ण के देश में मर्यादा वहशीपन से हार गयी
एक लाडली भारत-भू की महानता को धिक्कार गयी
संस्कारों की परिभाषा वक़्त-वक़्त पर कैसे बदल गयी
पुरुष-तन की काम-वासना फिर एक बेटी को निगल गयी
आधुनिकता की दौड़ में जाने समाज कहाँ दौड़ लिया
बेशर्मी के अंधेपन में नैतिकता का कैसा चोल ओढ़ लिया
स्त्री को माँ कहने वाले शिवाजी के आदर्श हम भूल गये
नवरात्र के माँ दुर्गा के नौ रूपों का दृश्य हम भूल गये
स्त्री के मान-मर्यादा की, क्यों नही किसी को लाज कोई
माँ-बहनें सबकी होती है, क्यों नही समझता आज कोई
नारी-जाति की पवित्र देह से ना ऐसा खिलवाड़ करो
मातृ-शक्ति का पावन आँचल न तार-तार उजाड़ करो
कल फिर कोई दामिनी सड़क पर ना यूँ कुचली जाए
कातिल भ्रमरों के हाथों कोई कली ना यूँ मसली जाए
इसलिए जरूरत है नारी-शक्ति का पग-पग सम्मान करे
परायी स्त्री में भी अपनी माता-बहनों की पहचान करे
पहले खुद सुधरे, खुद-ब-खुद समाज भी सुधर जाएगा
तभी उस बिटिया के बलिदान का क़र्ज़ भी उतर जाएगा.......विभोर गुप्ता, मेरठ
एक लाडली भारत-भू की महानता को धिक्कार गयी
संस्कारों की परिभाषा वक़्त-वक़्त पर कैसे बदल गयी
पुरुष-तन की काम-वासना फिर एक बेटी को निगल गयी
आधुनिकता की दौड़ में जाने समाज कहाँ दौड़ लिया
बेशर्मी के अंधेपन में नैतिकता का कैसा चोल ओढ़ लिया
स्त्री को माँ कहने वाले शिवाजी के आदर्श हम भूल गये
नवरात्र के माँ दुर्गा के नौ रूपों का दृश्य हम भूल गये
स्त्री के मान-मर्यादा की, क्यों नही किसी को लाज कोई
माँ-बहनें सबकी होती है, क्यों नही समझता आज कोई
नारी-जाति की पवित्र देह से ना ऐसा खिलवाड़ करो
मातृ-शक्ति का पावन आँचल न तार-तार उजाड़ करो
कल फिर कोई दामिनी सड़क पर ना यूँ कुचली जाए
कातिल भ्रमरों के हाथों कोई कली ना यूँ मसली जाए
इसलिए जरूरत है नारी-शक्ति का पग-पग सम्मान करे
परायी स्त्री में भी अपनी माता-बहनों की पहचान करे
पहले खुद सुधरे, खुद-ब-खुद समाज भी सुधर जाएगा
तभी उस बिटिया के बलिदान का क़र्ज़ भी उतर जाएगा.......विभोर गुप्ता, मेरठ